परिचय:
जैन विश्व भारती जैन तेरापंथ संप्रदाय की एक प्रमुख संस्था है जो आधुनिकीकरण के साथ आध्यात्मिकता में दृढ़ विश्वास रखता है। तेरापंथ के नौवें आचार्य, गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी की प्रेरणा और उत्साही दृढ़ संकल्पों प्रयासों द्वारा वर्ष 1970 में स्थापित, जैन विश्व भारती का उद्देश्य जैन धर्म दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में लगातार और निरंतर शोध करना है। जैन विश्व भारती राजस्थान राज्य के डीडवाना-कुचामन जिले के लाडनूं में स्थित है जो नगर सांस्कृतिक विरासत व परम्पराओं को संजोए हुए है।
जैन विश्व भारती शिक्षा, शोध, साहित्य, साधना, सेवा, संस्कृति समन्वय के क्षेत्र में विभिन्न सात सकार रूपी और गतिविधियों का सक्रिय रूप से संचालन कर रही है। टीम जेविभा अपने सप्त सकार रुपी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समर्पित और केन्द्रित है और इसे तेरापंथ समुदाय के लिए ‘कामधेनु’ के रूप में उपमित किया गया है।
जैन विश्व भारती राजस्थान के लाडनूं नगर में स्थित है और एक सुरम्य परिसर है और सघन हरीतिमा युक्त परिसर के साथ साथ नवीनतम मूलभूत सुविधाएं और आधुनिक सुख सुविधाएं भी यहां उपलब्ध हैं। जैन विश्व भारती द्वारा प्राच्य विद्याओं के शोध उपक्रम के अंतर्गत प्राचीन जैन धर्म साहित्य और आध्यात्मिक मूल्यों पर सक्रिय रूप से काम किया जा रहा है और जैन विश्व भारती द्वारा स्वप्रकाशित साहित्य की सबसे व्यापक और सबसे बड़ी श्रृंखला है।
जैन विश्व भारती ने आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में प्राचीन साहित्य, जैन धर्म मूल्यों और जैन दर्शन के क्षेत्र में कई गुना प्रगति की है। जैन विश्व भारती अपने वर्तमान अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी के शुभ दिशा-निर्देशों और मार्गदर्शन में वैश्विक स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने को आतुर है।
आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के मार्गदर्शन से जैन विश्व भारती एवं जैन विश्व भारती संस्थान आज जैन दर्शन एवं विज्ञान के उच्च स्तरीय शोध केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है।